पाठ १३ – समास
समास का अर्थ है ‘संक्षिप्तीकरण’। हिन्दी व्याकरण में
समास का शाब्दिक अर्थ होता है छोटा रूप; जब दो या दो से अधिक शब्दों से मिलकर जो नया और छोटा शब्द बनता है।
उस शब्द को हिन्दी में समास कहते हैं। ‘राजा का
पुत्र’ –
समास
के भेद/प्रकार
१.अव्ययीभाव समास:- प्रथम पद अव्यय होता है और उसका
अर्थ प्रधान होता है।
निर्विवाद
= बिना विवाद के
बेशक
= शक के बिना
२.तत्पुरुष समास :- यह कारक से जुड़ा समास होता है।
पापमुक्त – पाप से मुक्त
स्वरचित = स्वयं द्वारा रचित
३.कर्मधारय समास :- इस समास में विशेषण -विशेष्य और उपमेय -उपमान से मिलकर बनते हैं।
देहलता = देह रूपी लता
नवयुवक = नव है जो युवक
४.द्विगु समास :- इस समास में प्रयुक्त संख्या किसी
समूह को दर्शाती है। किसी अर्थ को नहीं |
त्रिफला : तीन फलों का समूह
दोपहर : दो पहरों का समाहार
५.द्वन्द्व समास :- दोंनों पदों को मिलाते समय ‘और’, ‘अथवा’, ‘या’, ‘एवं’ आदि योजक लुप्त हो जाते हैं।
अन्न-जल : अन्न और जल
अपना-पराया : अपना और पराया
६.बहुव्रीहि समास :- जब दो पद मिलकर तीसरा पद बनाते हैं तब वह तीसरा पद प्रधान
होता है।
हलधर- हल को धारण करने वाला अर्थात् बलराम
चक्रपाणि- चक्र है पाणि (हाथ) में जिसके अर्थात् विष्णु
अभ्यास कार्य (गृह -
कार्य)
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