Wednesday, July 22, 2020

कक्षा ८ पाठ - समास


              पाठ १३ – समास
समास का अर्थ हैसंक्षिप्तीकरण। हिन्दी व्याकरण में समास का शाब्दिक अर्थ होता है छोटा रूप; जब दो या दो से अधिक शब्दों से मिलकर जो नया और छोटा शब्द बनता है। उस शब्द को हिन्दी में समास कहते हैं। राजा का पुत्र’ – 
समास के भेद/प्रकार 
१.अव्ययीभाव समास:- प्रथम पद अव्यय होता है और उसका अर्थ प्रधान होता है
निर्विवाद = बिना विवाद के
बेशक = शक के बिना
२.तत्पुरुष समास :‌‌- यह कारक से जुड़ा समास होता है।
पापमुक्त पाप से मुक्त
स्वरचित = स्वयं द्वारा रचित
३.कर्मधारय समास :- इस समास में विशेषण -विशेष्य और उपमेय -उपमान से मिलकर बनते हैं
देहलता = देह रूपी लता
नवयुवक = नव है जो युवक
४.द्विगु समास :- इस समास में प्रयुक्त संख्या किसी समूह को दर्शाती है। किसी अर्थ को नहीं |
त्रिफला : तीन फलों का समूह
दोपहर : दो पहरों का समाहार
५.द्वन्द्व समास :- दोंनों पदों को मिलाते समयऔर’, ‘अथवा’, ‘या’, ‘एवंआदि योजक लुप्त हो जाते हैं
अन्न-जल : अन्न और जल
अपना-पराया : अपना और पराया
६.बहुव्रीहि समास :- जब दो पद मिलकर तीसरा पद बनाते हैं तब वह तीसरा पद प्रधान होता है।
हलधर- हल को धारण करने वाला अर्थात् बलराम
चक्रपाणि- चक्र है पाणि (हाथ) में जिसके अर्थात् विष्णु


अभ्यास कार्य (गृह - कार्य)




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