Term II
पाठ ६
क्या निराश हुआ जाए
शब्दार्थ
१.
समाचार
= खबर
२.
दृष्टि
= नज़र
३.
भीरू
= कायर ,
डरपोक
४.
दोषोद्घाटन
= कमियों को दिखाना
५. अवांछित = अनचाहा ,जिसकी इच्छा न की गई हो
६. गरिमा = महिमा, महत्व
७. परिचालक = कंडक्टर
८. प्रतिष्ठा = मान – मर्यादा , सम्मान
प्रश्नोत्तर
प्र०१) लोगों ने बस चालक से माफी क्यों माँगी
? (५)
उ० जब बस एक निर्जन सुनसान
स्थान पर रुक गई तो सभी यात्री घबरा गए । परिचालक बस से नीचे उतरा और एक साइकिल
लेकर कहीं चला गया ।लोगों को संदेह हो गया
कि उनके साथ कोई दुर्घटना होने वाली है । किसी ने कहा,” इस स्थान पर डकैती होती है। दो दिन पहले इसी तरह एक बस को लूटा गया था।“ सभी के मन में डाकू का डर समा गया । कुछ
नौजवानों ने चालक को पकड़कर मारने की योजना बनाई। क्योंकि उनका मानना था कि चालक
ने ही परिचालक को डाकुओं के पास सूचना देने के लिए भेजा है । लेकिन जब परिचालक
डेढ़- दो घंटे बाद एक खाली बस लेकर आया और सभी यात्रियों से कहा कि, “आप लोग
दूसरे बस में बैठ जाइए, क्योंकि यह बस चलने की स्थिति में नहीं है । तब सभी
यात्रियों को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन लोगों ने चालक से माफी माँगी ।
प्र० २) महान मूल्यों के प्रति लोगों की
आस्था क्यों डोलने लगी है ?
उ० आजकल
ईमानदार और सच्चे व्यक्ति को लोग मूर्ख
समझते हैं । ईमानदारी को मूर्खता का पर्याय समझा जाने लगा है, लोग ऐसा सोचते हैं कि केवल कायर और बेबस लोग ही
सच्चाई की राह पर चलते हैं । इसलिए ऐसी स्थिति में जीवन के महान मूल्यों के प्रति
लोगों की आस्था डोलने लगी है ।
प्र० ३) “दोषों का पर्दाफाश करना बुरी बात नहीं है।” पंक्ति का
भाव(आशय) स्पष्ट कीजिए। (५)
उ० “दोषों का पर्दाफाश करना बुरी बात नहीं है।“ इस वाक्य का आशय यह है कि, लोग
दूसरों के दोषों तथा उनकी कमियों को उजागर
करके या उद्घाटित करके उससे मजा लेते हैं और उनकी गलतियों को सभी के समक्ष
प्रस्तुत करने को एकमात्र अपना कर्तव्य समझ लेते हैं । किसी की गलतियों में मजा
लेना बुरी बात है, लेकिन उससे भी बुरी बात यह है कि जब हम किसी की अच्छाई को उसके अच्छे स्वभाव
को या उसके अच्छे कामों को लोगों के सामने
उद्घाटित अर्थात् प्रस्तुत नहीं करते ।
प्र० ४) पाठ में रवींद्रनाथ टैगोर ने क्या
प्रार्थना की है और क्यों? अपने
शब्दों में स्पष्ट कीजिए ।(५)
उ० पाठ में कवि रवींद्रनाथ टैगोर ने अपने प्रार्थना गीत में भगवान से प्रार्थना की है कि संसार में केवल नुकसान ही उठाना पड़े, धोखा ही खाना पड़े तो ऐसे अवसरों पर भी हे प्रभो ! मुझे ऐसी शक्ति दो कि मैं तुम्हारे ऊपर संदेह न कर सकूँ । अर्थात् वे ईश्वर पर पूर्ण विश्वास करना चाहते हैं। हमेशा सकारात्मक रूप से सोचना चाहते हैं; क्योंकि उनका मानना है कि ईश्वर के घर देर है लेकिन अंधेर नहीं है। बुरे काम का परिणाम अंततः बुरा ही होता है । ठीक ऐसे ही जैसे बबूल के वृक्ष से आम का फल नहीं पाया जा सकता ।
गृह कार्य
प्र० क) ‘क्या निराश हुआ जाए?’ शीर्षक की सार्थकता पर अपने तर्क देते हुए अपने विचार लिखिए ।(२)
प्र० ख) एक बार एक सज्जन ने लेखक से क्या कहा ? (२)
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Deletethank you mam
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