Thursday, November 26, 2020

 

पाठ ८

कोई नहीं पराया

गोपालदास सक्सेना नीरज

 

शब्दार्थ

१.      घट -घट ‌= कण - कण

२.      सर = सिर

३.      सुकुमार = कोमल नाजुक

४.      विष = जहर

५.      तम = अंधेरा

६.      मनुजत्व = मानवता, मनुष्यता

७.      दलित = कुचला हुआ, दबाया हुआ

८.      आराध्य = पूज्य ,पूजने योग्य

९.      देवत्व = सुरत्व अमरत्व

१०.  दर्दीले = दर्द से भरे हुए

प्रश्नोत्तर

   प्र०१.  कवि ने अमरत्व के स्थान पर मनुजत्व को क्यों स्वीकार किया ?

   उ०    कवि को संसार के किसी भी कोने में रहने वाला इंसान प्रिय है । कवि किसीजाति -पाँति की कुरीतियों में नहीं बंधे हैं। इसलिए उन्हें अपनी मानवता पर बहुत गर्व है अर्थात् अभिमान है। उन्हें देवत्व नहीं मनुजत्व भाता है। यानी प्राणी मात्र से  करना उन्हें प्रिय है। इसलिए कवि ने अमरत्व के स्थान पर मनुजत्व को स्वीकार किया है ।  

  प्र०२ .  कवि ने जंग लगी जंजीर किसे और क्यों कहा है ?

  उ०    कवि ने देशकाल को जंग लगी जंजीर कहा है । वे कहते हैं कि उन्हें देश काल की मजहब और धर्म की जंजीर में मत बाँधो । वे उस स्थान पर नहीं खड़े हैं   जहाँ इंसानों को जाती- पाँती, ऊंच-नीच अमीरी- गरीबी आदि के आधार पर विभाजित किया जाता है ।  

प्र०३ .  जियो और जीने दो’ पंक्ति में क्या नैतिक संदेश निहित है?

 उ०   यह पंक्ति प्रेम, सहयोग, त्याग, सेवा,सहनशीलता आदि गुणों का पालन करते हुए जीने का सन्देश देती है। इससे हम एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान करना, भाईचारे की भावना से व्यवहार करना तथा अनुशासन और मर्यादा में रहना सीखते हैं जिससे टकराव और विरोध की सम्भावना कम होती है। 

प्र०४. कवि संसार को कौन सी सीख सिखला रहे हैं?

उ०.  कवि संसार को जियो और जीने दो की सीख सिखला रहे हैं। उनका मानना है कि हमें संसार में खुशियाँ बाँटनी चाहिए। इस तरह हँसना चाहिए कि हमारे साथ दीन-दुखी लोग भी हँस सकें और हमें इस तरह चलना चाहिए कि हमारे कारण किसी को भी दुःख न पहुँचे।


गृह कार्य


प्र० १. जगहित और स्वयंहित जीने में क्या अंतर हैअपने शब्दों में लिखिए।(२)

प्र० २. कवि को आग और गीत क्यों मिले हैं? ()

   

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