पाठ २३
अशुद्धि शोधन
सामने वाले व्यक्ति को आसानी से और सही-सही समझ आ सके उसके लिए आवश्यक है कि व्याकरण के नियमों की दृष्टि से 'वाक्य' को शुद्ध हो। अत: वाक्य को व्याकरण के नियमों के अनुसार शुद्ध करना ही 'वाक्य अशुद्धि शोधन' कहलाता है।
निम्नलिखित अशुद्ध वाक्यों को शुद्ध करके फिर से
लिखिए –
प्रश्न: अशुद्ध वाक्य
१.लता कितनी मधुर गाती है ।
२. तितली के पास सुंदर पंख होते हैं ।
३. यह भोजन दस आदमी के लिए है।
४. कश्मीर में कई दर्शनीय स्थल देखने योग्य है ।
५. उसने प्राण की बाजी लगा दी ।
६. तुमने मीट्टी से का प्यार ।
७. यह है न पसीने का धारा ।
८. आओ सिंहासन में बैठो ।
९. तुम हँसो कि फूले-फले देश ।
१०. यह गंगा का है नवल धार ।
उत्तर: शुद्ध
वाक्य
१.लता कितना मधुर गाती है।
२. तितली के पंख सुंदर होते हैं।
३. यह भोजन दस आदमियों के लिए है।
४. कश्मीर में कई दर्शनीय स्थल हैं।
५. उसने प्राणों की बाजी लगा दी।
६. तुमने मिट्टी से किया प्यार।
७. यह है न पसीने की धार।
८. आओ, सिंहासन पर बैठो।
९. तुम हँसो ताकि फूले-फले देश।
१०. यह गंगा की है नवल धार।
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